Arrhenius theory : यह सिद्धांत किसी अभिक्रिया के vwg पर ताप का प्रभाव स्पष्ट करता है इसके अनुसार ताप बढ़ने पर अभिक्रिया के वेग में चरघातांकी वृद्धि होती है । सिद्धांत की कल्पनाएं निम्नानुसार है -
- अभिकारक के गतिशील अणु आपस में टकराते हैं यदि टक्कर उचित दिशा में हो तो क्रियाफल बनते है अन्यथा नहीं ।
- अणुओं के उचित दिशा में टकराने पर भी अभिक्रिया तब तक संपन्न नहीं होती, जब तक अणुओं में इतनी ऊर्जा न हो कि वे सक्रियित संकुल बना सके ।
- सक्रियित अणु ही ऊर्जा अवरोध को पार कर उत्पाद में परिवर्तित होते हैं।
- वह न्यूनतम ऊर्जा जिसे ग्रहण करने के पश्चात अभिकरक के अणु सक्रीयित संकुल बना कर ऊर्जा अवरोध पर करते हैं, सक्रिय ऊर्जा कहलाते हैं ।
- अणु आपस के एक-दूसरे से टक्कर द्वारा सक्रिय ऊर्जा प्राप्त करते हैं ।
- सक्रियित अणुओं की संख्या ताप पर निर्भर करती है।
- ताप बढ़ने पर सक्रियित अणुओं की संख्या में वृद्धि होती है जिससे अभिक्रिया का वेग बढ़ जाता है ।
- जिस अभिक्रिया के लिए सक्रिय के लिए ऊर्जा का मान काम होता है । उसमे सक्रियित अणुओं की संख्या ज्यादा होती है एवं अभिक्रिया का वेग भी ज्यादा होता है।
- सक्रियित अणु आपस में टक्करों द्वारा सक्रियित संकुल बनाते हैं जो ऊर्जा का उत्सर्जन कर उत्पाद बनाते हैं ।
- अभिकारकों में सामान्य अणुओं एवं सक्रियित अणुओं के मध्य एक साम्य रहता है । इसे भी पढ़े
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