आरेनियस सिद्धांत Arrhenius theory

Arrhenius theory : यह सिद्धांत किसी अभिक्रिया के vwg पर ताप का प्रभाव स्पष्ट करता है इसके अनुसार ताप बढ़ने पर अभिक्रिया के वेग में चरघातांकी वृद्धि होती है । सिद्धांत की कल्पनाएं निम्नानुसार है - 

  1. अभिकारक के गतिशील अणु आपस में टकराते हैं यदि टक्कर उचित दिशा में हो तो क्रियाफल बनते है अन्यथा नहीं । 
  2. अणुओं के उचित दिशा में टकराने पर भी अभिक्रिया तब तक संपन्न नहीं होती, जब तक अणुओं में इतनी ऊर्जा न हो कि वे सक्रियित संकुल बना सके ।
  3. सक्रियित अणु ही ऊर्जा अवरोध को पार कर उत्पाद में परिवर्तित होते हैं।  
  4. वह न्यूनतम ऊर्जा जिसे ग्रहण करने के पश्चात अभिकरक के अणु सक्रीयित संकुल बना कर ऊर्जा अवरोध पर करते हैं, सक्रिय ऊर्जा कहलाते हैं । 
  5. अणु आपस के एक-दूसरे से टक्कर द्वारा सक्रिय ऊर्जा प्राप्त करते हैं । 
  6. सक्रियित अणुओं की संख्या ताप पर निर्भर करती है। 
  7. ताप बढ़ने पर सक्रियित अणुओं की संख्या में वृद्धि होती है जिससे अभिक्रिया का वेग बढ़ जाता है ।
  8. जिस अभिक्रिया के लिए सक्रिय के लिए ऊर्जा का मान काम होता है । उसमे सक्रियित अणुओं की संख्या ज्यादा होती है एवं अभिक्रिया का वेग भी ज्यादा होता है।
  9. सक्रियित अणु आपस में टक्करों द्वारा सक्रियित संकुल बनाते हैं जो ऊर्जा का उत्सर्जन कर उत्पाद बनाते हैं ।
  10. अभिकारकों में सामान्य अणुओं एवं सक्रियित अणुओं के मध्य एक साम्य रहता है । इसे भी पढ़े
मैंने आप सभी को अच्छे से समझने की कोशिश की है आशा करता हूं आपको अच्छे से समझ आया होगा अपने दोस्तों को भी शेयर अवश्य कीजियेगा । धन्यवाद! 

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